जग के दाता ईश महान ,
हमको भी तुम दो वरदान |
चारु चापल हो करुणधारी ,
अधरों पर मीठी मुस्कान ||
सबका प्रेम मिले दे पावें ,
जीवन को भयमुक्त बनायें |
संकट कटे रहे नहि क्षणभर ,
व्यर्थ ना हो मेरा हर काम ||
भक्ति हो कर्मों से अपने ,
नफरत द्वेष कलुष कल्मष से |
जड़ता का ना हो संचार ,
करते रहना बस उत्थान ||
फूलें फलें मिले करुणा पर ,
प्रेम भाव हो सबका हम पर |
दुखी न हो हमसे कोई ,
सफल बनें हम एक इंसान ||
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