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न्यायाधीश आज के देखे...

Updated: Feb 18, 2019

आज के समय में देश के न्यायाधीशों की जो स्थितियाँ हैं उनका हमारा यह मर्म स्पर्शी बोध देखिये क्या कहता है ???


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न्यायाधीशों के लिए सांकेतिक छायाचित्र

न्यायाधीश आज के देखे ,

बहुत विकृतियाँ लाद रखे |

स्वीकृतियों की बागडोर में , 

अनुकृतियों को तक रखे ||


भाषा उनकी पढ़ते हैं सब ,

अरिभाषा के अर्थ नये |

चमत्कार क्या कर बैठेंगे ,

यही सोचते लाख गये ||


खाक बचा न जिसका कुछ भी ,

उसका मन्तर बोल गया |

अंतर्मन को तौल देख फिर , 

क्या क्या अन्तर खोल गया ||


तुझमें और विधाता में कुछ ,

नहीं तनिक भी भेद यहाँ |

पर तूने तो खोया सबकुछ ,

जो बोया सो मोल गया ||


तौल तुला पर उस ही सब कुछ ,

अपनी माटी अपना ही बुत |

नंगा होकर जाने वाला ,

क्यों सोता है अब कुछ श्रुत ||


धन्य तेरा यह जीवन होगा ,

पावन तन मन यौवन होगा |

मन की लिप्सा डूब मरेगी ,

तन यह चन्दन वंदन होगा ||


हम तो उल्लू काठ कंठ तक ,

गांठ खोलने को आतुर |

पढता लिखता अपना मंथन , 

अपना बंधन अपना धुर ||

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