उपराष्ट्र पद से हटने के बाद सेक्युलरवाद पर की जाने वाली अनाप शनाप टिप्पणियों पर आधारित कुछ काव्य पंक्तियाँ |
Ex Vice-President Hamid Ansari हामिद हैं हमदर्द बड़े, वे अपने कुनबे के साथी | राष्ट्र भक्ति अब भूल गये, जब राष्ट्रपती की कुर्सी जाती || कट्टरवादी बनकर उभरे , जीवन की इस पारी में | चोर उच्चकों सी हरकत है, चारा अपनी जारी में || मर्यादायें कर सभी कलंकित, अंकित अपनी बानी की | मुल्ले हैं हम मुल्लों के, झूठी सब परधानी की ||
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