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Writer's pictureKavi Karan Bahadur

योग हमारा ब्रम्ह है


योग पर हमारे कुछ आध्यात्मिक दोहे - करन बहादुर

मक्खन है नवनीत है , है यह सोन समान। 

योग साधना तो सखे , मानो जान जहान।।


योग हमारा ब्रम्ह है , योग हमारा दम्भ। 

योग हमारी साधना , योग बना स्तम्भ।।


योग परस्पर भोग का , योग परस्पर राम। 

रावण फिर टिक पाय ना , रावण का संग्राम।।


कुंठा के हर भाव का , करता योग विनाश। 

आशा फिर - फिर जागती , है कुंठा का नाश।।

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