कुछ घुमावदार पंख , शंख का निनाद ले |
जी रहे है जान भर , अंक मरी खाद ले ||
बाद में निकारना , शिकार का घुमाव दे |
जी सके तो मारना , विकार का बधाव दे ||
सताओगे तो हारना , मै न कोई जान हूँ |
जी रहा हूँ इसलिए , हुंकार में ईमान हूँ ||
पुकार के ही मारना , जीवन न पाओगे |
मै कैसा हूँ कौन हूँ , यह कैसे बताओगे ||
कुर्बान आप सब पे , मै खोले जुबान हूँ |
बोले जो आप हर में , मै ही तो गान हूँ ||
करन बहादुर
बादलपुर , ग्रेटर नोयडा -203207
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