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Writer's pictureKavi Karan Bahadur

कुछ घुमावदार पंख


कुछ घुमावदार पंख , शंख का निनाद ले |

जी रहे है जान भर , अंक मरी खाद ले ||


बाद में निकारना , शिकार का घुमाव दे |

जी सके तो मारना , विकार का बधाव दे ||


सताओगे तो हारना , मै न कोई जान हूँ |

जी रहा हूँ इसलिए , हुंकार में ईमान हूँ ||


पुकार के ही मारना , जीवन न पाओगे |

मै कैसा हूँ कौन हूँ , यह कैसे बताओगे ||


कुर्बान आप सब पे , मै खोले जुबान हूँ |

बोले जो आप हर में , मै ही तो गान हूँ ||


करन बहादुर

बादलपुर , ग्रेटर नोयडा -203207

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